
16 नवंबर 24, झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के शिशु वार्ड में दस मिनट की आग से दस घरों के चिराग बुझ गए। हैरानी की बात यह है कि उपचार के लिए भर्ती छह नवजात लापता है जिनका कोई पता नहीं चल रहा है और सरकारी अधिकारी भी इस गभीर मुद्दे पर कुछ बोलने से बच रहे हैं। अस्पताल में आग लगने और अग्निरोधक यंत्र एक्स पाय होने से आक्रोशित लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए मुआवजे का ऐलान कर दिया है। बहरहाल, रात में हुई आग लगने की घटना में दस मासूमों की मौत की खबर सुनकर लोगों के दिल दहल गए हैं।

परिजनों तलाश रहे बच्चे
बताया जाता है कि मेडिकल कालेज की एसएनसीयू बीती रात आग लग गई थी। आग लगने के कारणों की जांच के बीच सामने आाया है कि नर्स के माचिस की तीली जलाते ही पूरे वार्ड में आग फैल गई थी। हादसे में दस बच्चों की मौत हो गई तथा बीस झुलस गए हैं। इसके अलावा मौके प छुटे छह परिवार अपने जिगर के टुकड़ों को तलाश रहे हैं। हैरानी यह है कि किसी अधिकारी के पास संतोषजनक जवाब भी नहीं है। रोते बिलखते परिवारों में संध्या निवासी एरच ने बताया कि उसका 12 दिन का बेटा, बंगरा की कविता का 15 दिन का बेटा, जालौन की संतोषी का एक दिन का बेटा, कबरई महोबा की नीलू का 9 दिन का बेटा, फुलवारा ललितपुर की संजना का 29 दिन का बेटा और राजगढ़ की नैंसी का बेटा नही मिल रहा है। सभी का कहना है कि बच्चे एसएनसीयू में भर्ती थे। जानकार मानते हैं कि मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।

एक्सपायर उपकरण हुए पास
घटना ने अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. शॉर्ट सर्किट के कारण लगी इस आग से कई बच्चे अंदर ही फंस गए थे। जानकारी मिली है कि वार्ड में अग्नि सुरक्षा के कई नियमों का पालन भी नहीं किया गया था। यहां लगे सभी उपकरण एक्सपायर हो चुके थे, जिन्हें बदला नहीं गया। इस बीच उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाएं देखी गई थी। जून में ट्रायल भी किया गया था मगर अफसोस की बात यह है कि एसएनसीयू में शुक्रवार की रात आग लगने की घटना हुई और दस नवजात शिशुओं ने जलने से दम तोड़ दिया। सवाल यह उठता है कि उम्र पूरी कर चुके उपकरणों का ट्रायल कैसे पास हो गया। जानकार बताते हैं कि अधिकांश उपकरण एक से दो साल पहले ही एक्सपायर हो चुकी है। एमरजेंसी एक्जिट नहीं होने से खिड़की तोड़कर लोगों को निकाला गया। अग्नि सुरक्षा विभाग जब भी किसी संस्था को फायर एनओसी देती है, तो यह सुनिश्चित करती है कि प्रवेश और निकास के दो द्वार होने ही चाहिए, लेकिन इस वार्ड में ऐसा कोई इंतजाम भी नहीं दिखाई दिया। इस स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि वार्ड की फायर आडिट कैसे हुई।