(विधि छात्र अभिषेक शर्मा की कलम से)
06 सितंबर 23, मुरादाबाद। देश में होने जा रहे जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित डिनर के निमंत्रण पत्र पर सियासी घमासान छिड़ गया है। निमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को प्रेसिडेंट आफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट आॅफ भारत लिखा गया है। निमंत्रण पत्र में इंडिया को भारत लिखे जाने को विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया है, जबकि सरकार में शामिल मंत्री और भाजपा इसे संवैधानिक बता रहे हैं। इसी विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में बीए करने वाले तथा विधि के छात्र अभिषेक शर्मा ने कानून की बारिकियों से आपको अवगत कराने के लिए यह लेख लिखा है।
संविधान संशोधन की आशंका बेमानी
संविधान का अनुच्छेद एक कहता है कि भारत यानी इंडिया राज्यों का संघ होगा। यह अनुच्छेद 26 नवंबर 1949 से संविधान में अपने वास्तविक रूप में मौजूद है। इस अनुच्छेद अभी तक कोई संशोधन नहीं किया गया है। हमारा संविधान हमें सशक्त करता है कि हम इंडिया को भारत कहकर भी संबोधित कर सकते हैं तो फिर राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र पर छापा गया प्रेसीडेंट आॅफ भारत पर आपत्ति का सवाल ही नहीं उठाता है। देश का संविधान हमें भारत शब्द का इस्तेमाल करने की शक्ति देता है। इस घटना को ज्यादातर लोग सिर्फ राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं, लेकिन उनका यह जानना जरूरी है कि भारत शब्द का इस्तेमाल संविधान निमार्ता ने 74 वर्ष पूर्व ही कर दिया था। भारत और इंडिया नाम पर छिड़ी इस बहस का जी-20 की बैठक के दौरान होने से देश की छवि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, सरकार ने संसद का विशेष सत्र भी बुलाया है जिसका एजेंडा अभी साफ नहीं है। इसलिए संसद सत्र में संविधान संशोधन की आशंका भी विपक्ष में देखी जा रही है। विपक्ष इसे इंडिया गठबंधन से जोड़कर भी देख रहा है।