04 मार्च 23, नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में मुरादाबाद के चर्चित कथाकार व पत्रकार रामजन्म पाठक के नए कविता-संग्रह ‘डूबता है एक सितारा और’ का लोकार्पण प्रख्यात समालोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रोफेसर सुधीश पचौरी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। रामजन्म पाठक किसी परिचय का मोहताज नहीं है, पत्रकरिता के क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय और उनकी कहानी बंदूक पर सागर सरहदी द्वारा फिल्म का निर्माण रामजन्म पाठक को साहित्य के क्षेत्र में मजबूती से स्थापित करता है।
कवि चुप्पा, लेकिन शोर मचाती हैं रचनाएं
लोकार्पण समारोह में प्रोफेसर सुधीश पचौरी ने कहा कि रामजन्म पाठक के रूप में मंडलेश डबराल की परंपरा जीवित हैं। उनकी कविताएं समाज की हर उपेक्षित इकाई की पीड़ा को व्यक्त करती हैं। वे खामोश रहते हैं और कविताएं खूब बोलती हैं। प्रख्यात कवि इब्बार रब्बी ने कहा कि रामजन्म पाठक की कविताएं भीतर से परिपक्व हैं। वे थोड़ा चुप्पा कवि है और अपनी विनम्रता का बखान नहीं करता। समालोचक और गीतकार ओम निश्चल ने कहा कि पाठक छपाना और छिपाना दोनों जानते हैं। उनकी कविताओं में गांव-शहर, धरती-आकाश, पानी-पेड़, कीट-पतंग सब दिखते हैं। प्रख्यात कवि राजेंद्र राजन ने कहा कि पाठक की पृष्ठभूमि गांव है। इसलिए, गांव की बोली-बानी उनकी कविताओं में केवल जगाने या आधुनिकता की शर्त पर नहीं आता, बल्कि वह सही मायने में गांव के कवि लगते हैं। प्रोफेसर चंद्रभान यादव ने कहा कि रामजन्म पाठक की कविताओं में इलाहाबादी मन दिखता है। पाठक ने अपने भीतर गांवों को ही नहीं बल्कि इलाहाबाद को भी समेट रखा है। इस मौके पर चर्चित कवि विमल कुमार, प्रोफेसर पंकज चतुवेर्दी, कवि श्रीविलास सिंह, प्रदीप सिंह, ठाकुर प्रसाद चौबे आदि मौजूद रहे। संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर वेदमित्र शुकल ने किया।