
21 फरवरी 23, जयपुर। पोस्ट बजट इंटरेक्शन के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सम्मुख पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना में फर्नीचर उद्योग को शामिल करने की मांग को उठाया गया। हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद के उपाध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा कि देश में फर्नीचर उद्योग में सूक्ष्म और लघु इकाइयों का वर्चस्व है। लकड़ी के दस्तकारी वाले फर्नीचर की देश और विदेशी बाजार में पहचान है और मांग लगातार बढ़ रही है। केंद्र सरकार उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिए पीएलआई योजना में नए संभावित क्षेत्रों को जोड़ रही है। उन्होंने कहा कि फर्नीचर को भी पीएलआई योजना में शामिल किया जाना चाहिए। ईपीसीएच के मुताबिक वित्त मंत्री ने उनके प्रस्ताव पर विचार करके समाधान करने का भरोसा जताया है।
मांगी हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए स्कीम
पोस्ट बजट इंटरेक्शन के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया की बजट घोषणा में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत हाथ से बने उत्पादों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है। उन्होंने फर्नीचर इकाइयों के लिए सुविधा और प्रोत्सहन की आशा व्यक्त की और कहा कि इस क्षेत्र को समाधान प्रदान किया जाएगा।इससे पहले उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र जो देश की अर्थव्यवस्था का एक श्रम प्रधान क्षेत्र है और इसमें धातु के सामान, कांच के बने पदार्थ, लकड़ी के सामान, पत्थर के पात्र, हाथ से बने वस्त्र, फैशन आभूषण और सहायक उपकरण और अन्य प्राकृतिक फाइबर उत्पाद शामिल हैं। हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए दस करोड़ रुपये और उससे अधिक के टर्नओवर वाले निर्यातकों के लिए भी एक इसी तरह की स्कीम का प्रावधान किया जाना चाहिये। हस्तशिल्प क्षेत्र के मजबूत होने से विदेशी मुद्रा का आगमन बढ़ेगा और देश में रोजगार की संभावाएं बढ़ेंगी। ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने कहा है कि हस्तशिल्प निर्यात बढ़ाने के साथ निर्यातकों और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने की कोशिशें जारी रहेंगी।