
09 फरवरी 23, मुरादाबाद। होली के उल्लास से पहले फाल्गुन माह के शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक होने वाले होलाष्टक को भी जान लीजिये। उल्लास से पहले आठ दिन बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। होला अष्टक अर्थात होली से पहले आठ दिन सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। याद रहे कि होलाष्टक का लगना ही होली के आने की सूचना है और मौसम बदलने का संकेत भी।
होलाष्टक मनाते हैं उत्तर भारत में
मानव कल्याण मिशन के संस्थापक स्वामी अनिल भंवर के मुताबिक होलाष्टक में आने वाले आठ दिनों का विशेष महत्व होता है। इन आठ दिनों के दौरान पर सभी विवाह, गृहप्रवेश या नई दुकान खोलना इत्यादि जैसे शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है और इसके साथ ही होलाष्टक की समाप्ति होती है। उन्होंने बताया कि इस बार होलाष्टक 27 फरवरी सोमवार से शुरू होकर 7 मार्च मंगलवार को होलिका दहन पर समाप्त होगा। होली के त्यौहार की शुरूआत ही होलाष्टक से प्रारम्भ होती है। इस समय प्रकृति में खुशी और उत्सव का माहौल रहता है। इस दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि होलाष्टक मुख्य रुप से पंजाब और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में अधिक मनाया जाता है। होलाष्टक के दिन से एक ओर जहां कुछ मुख्य कामों का प्रारम्भ होता है, वहीं कुछ कार्य ऐसे भी काम हैं जो इन आठ दिनों में बिलकुल भी नहीं किए जाते हैं।
सर्दियों के अलविदा कहने के दिन
स्वामी अनिल भंवर के मुताबिक होलाष्टक पर हिंदुओं में बताए गए शुभ कार्यों एवं सोलह संस्कारों में किसी नहीं किया जाने का विधान है। यह आठ दिन साधना के लिए उपयुक्त है। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए किया गया धर्म कर्म अंत्यंत शुभदायी होते हैं। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से अपने पुत्र प्रह्लाद को अनेक कष्ट दिए और आठवें दिन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को सौंप दिया। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाती है, मगर भगवान विष्णु ने अपने भक्त को बचा लिया और होलिका जल कर राख हो गई। इस लिए होलाष्टक के आठ दिन शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस दिन से मौसम की छटा में बदलाव आना शुरू हो जाता है। सर्दियां अलविदा कहने लगती है और गर्मियों का आगमन होने लगता है। इन दिनों शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गभार्धान संस्कार, शिक्षा आरंभ संस्कार, कान छेदना, नामकरण, गृह निर्माण करना या गृह प्रवेश करने का विचार इस समय पर नहीं करना चाहिए।