(स्टोरी व फोटो एआर रहमान)
01 मई 24, मुरादाबाद। चित्र देखकर हैरान होना स्वाभाविक है, विश्व में चल रहे दो बड़े युद्ध के बीच आपको यह मिसाइल दिखाई दे रहा होगा, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। इसे अल्लाह का करिश्मा समझिये और जान लीजिये कि यह पक्षी है और इसका नाम है पैराडाइज फ्लाइकेचर। मंडल के बिजनौर में उत्तर प्रदेश के तीसरे सबसे बड़े बाघ आरक्षित वन क्षेत्र अमानगढ़ में दुर्लभ प्रजाति के भारतीय पैराडाइज फ्लाई कैचर दिखाई देने से उल्लास का माहौल है।
बांस के जंगलों में रहते हैं
बताया जाता है कि भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और म्यांमार में पाए जाने वाला पैराडाइज फ्लाई कैचर प्रवासी पक्षी है। सिर पर काले मुकुट और कलगी के साथ इनके सिर चमकदार काले होते हैं। उनकी काली चोंच गोल और मजबूत होती है। भारतीय पैराडाइज फ्लाईकैचर कीड़ों को खाते हैं, जिन्हें वे अक्सर घने पेड़ के नीचे हवा में पकड़ लेते हैं। यह पश्चिमी अफगानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिमी, मध्य भारत, पश्चिमी और मध्य नेपाल में प्रजनन करता है। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान और दक्षिणी भारत में इसकी आबादी प्रजनन के लिए वसंत ऋतु में हिमालय की तलहटी की ओर पलायन करती है। नर भारतीय पैराडाइज फ्लाईकैचर में 412 मिमी लंबे होते हैं। लंबी पूंछ का कार्य यौन चयन से संबंधित माना जाता है, मादा पैराडाइज पूंछ की लंबाई के आधार पर नर का चयन करती हैं। उन्होंने बताया कि एशियाई पैराडाइज फ्लाईकैचर अक्सर पर्णपाती, सदाबहार और जमीन पर घनी झाड़ियों वाले बांस के जंगलों में पाए जाते हैं। आमतौर पर 600 मिमी और 2,000 मिमी के बीच औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में रहते हैं। पैराडाइज फ्लाइकेचर मध्य आकार का एक पक्षी है। नरों की दुम पर लम्बे पंख होते हैं जो उत्तर भारत में यह अक्सर सफेद रंग के होते है। लेकिन अन्य जगहों पर आमतौर से काले या लाल-भूरे होते हैं।
जानते हैं अमानगढ़ के बारे में
अमानगढ़ में यहां कुदरती पानी एकत्र हो जाता है जिसे वाटर हाल कहते हैं। बरसात का पानी जमा होने पर वन्य जीव यहीं आकर अपनी प्यास बुझाते हैं और गर्मी से राहत भी पाते हैं। उत्तराखंड के बार्डर से मिलते हुए और जिम कार्बेट पार्क के नजदीक बसे जंगल में खुली जीप की सेवा मौजूद है। यहां पर्यटक पंजीकरण कक्ष और कैंटीन कम टिकट घर भी बना हुआ है। मार्च में मौसम गमार्ने के साथ ही वन्य जीवों का आवागमन तेज हो जाता है। वह पानी पीने के लिए नदी तक आते-जाते दिखाई देने लगे हैं। अमानगढ़ में पर्यटकों के लिए तीस किलोमीटर की जंगल सफारी का टैक तैयार है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यहां 27 टाइगर, 45 गुलदार, 50 काला हिरण, 6 चिकारा, 226 सांभर, बारहसिंघा और भालू आदि मौजूद हैं। सुबह से शाम तक भ्रमण करके तमाम वन्य जीवों का दीदार किया जा सकता है। यहां हाथी की मस्ती, चीते की चाल, हिरन की छलांग के साथ रंग-बिरेंगे पक्षियों को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है।