27 फरवरी 24, सम्भल/मुरादाबाद l लोकसभा चुनाव से पहले सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क का दुनिया से अलविदा लेना कई सवाल पैदा कर गया है जिसमें सबसे बड़ा सवाल है उनके उत्तराधिकारी का l इसके साथ ही विरोधी गुट की चाल पर भी सबकी नज़र है l बहरहाल डॉ बर्क की मौत की खबर से चाहने वाले सदमे में हैं और अपने नेता को देखने के भारी संख्या में आवास पर उमड़ रहे हैं l
क्रिएटिनिन की परेशानी थी
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद 95 वर्षीय डॉ0 शफीकुरर्हमान बर्क का लम्बी बीमारी के चलते मुरादबाद के अस्पताल में मंगलवार सुबह निधन हो गया। आपको दे की सांसद शफीकुरर्हमान बर्क बीते कई सप्ताह से बीमार चल रहे थे, क्रिएटिनिन की दिक्कत होने पर गुरूग्राम में भर्ती कराया गया था, जहां हालत मे सुधार हो गया था l 29 जनवरी को फिर से तबियत खराब हुई तो मुरादाबाद के हॉस्पिटल मे भर्ती कराया गया था l अस्पताल में मौत की खबर तेज़ी से फैली और क्षेत्र मे शोक की लहर दौड़ गई। सांसद के निवास दीपा सराय, बर्क मंज़िल पर हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ओर समथकों का सैलाब उमड़ पड़ा।
यूं रहा सियासी सफर
सांसद शफीकुरर्हमान बर्क का जन्म 11 जुलाई 1930 को हुआ। बर्क ने बीकेडी से चुनाव लड़कर जीत दर्ज कराई ओर सम्भल से विधायक चुने गये। इसके बाद उनका राजनीतिक सफर आगे बढ़ता गया l दूसरी बार 1977 को जनता दल से चुनाव लड़कर विधायक चुने गए। 1985 मे लोकदल से विधायक बने ओर फिर से 1989 मे जनता दल से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। सम्भल की विधानसभा से मुरादाबाद की लोकसभा पर 1996 मे समाजवादी पार्टी से सांसद चुने गए। 1998 मे दूसरी बार समाजवादी पार्टी से और तीसरी बार भी समाजवादी पार्टी से 2004 मे सांसद चुने गए। सांसद शफीकुरर्हमान बर्क ने मुरादाबाद से सम्भल की राजनीति मे अपनी सियाासी ज़मीन को वापस हासिल करते हुए 2009 मे बीएसपी से अपनी जीत दर्ज कराई। 2014 मे सांसद शफीकुरर्हमान बर्क ने चुनाव लड़ा ओर बहुत कम वोटो से वह हार गए लेकिन राजनीति के मैदान मे डटकर विरोधियों का मुकाबला करते हुए 2019 मे भी वह सपा टिकट पर सम्भल से सांसद चुने गए।
पौत्र पर सबकी निगाह
सियासी मैदान मे अपने पौत्र ज़ियाउरर्हमान बर्क को सपा का टिकट दिलाकर विधायक बना दिया। सांसद शफीकुरर्हमान बर्क लम्बी पारी खेलने वाले देश के सबसे सीनियर नेताओं मे मौजूदा वक्त मे इकलौते सांसद थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके राजनीतिक सेवाओं को संसद मे सराहा था । सांसद कई पीढ़ियों की राजनीति के साक्षी रहे ओर अनेक आंदोलन में भी उनकी सहभागिता एक तेज़ तर्रार नेता के रूप मे रही। वह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी रहे। उनकी पहचान सांसद होने के साथ ही एक मुस्लिम नेताओ मे जानी जाती थी। मुलायम सिंह यादव से लेकर देश के बड़े नेताओं तक उनका जीवन विधानसभा से संसद तक देखने को मिला। मौजूदा वक्त मे सांसद रहते हुए 2024 के रण मे उतरने के लिए सांसद ने कमर कस ली थी। समाजवादी पार्टी ने उन्हे फिर से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था l