25 जून 23, मुरादाबाद। इस साल सावन खास होने जा रहा है, क्योंकि इस साल शिवजी ने भक्तों को अपनी भक्ति के लिए उत्तम अवसर प्रदान किया है। यह संयोग बना है सावन मास में मलमास लगने की वजह से। यही कारण है कि इस बार सावन 30 नहीं, बल्कि 59 दिनों का होगा। कह सकते हैं कि इस साल दो सावन मास पड़ रहे हैं। मानव कल्याण मिशन के संस्थापक स्वामी अनिल भंवर ने बताया कि भक्तों को सावन में आठ सोमवार को भगवान शिव का व्रत कर उनका जलाभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इसका कारण है विक्रम संवत 2080 नल जो 12 की जगह 13 महीने का है।
चातुर्मास रहेगा पांच महीने
स्वामी अनिल भंवर ने बताया कि हर तीसरे वर्ष ऐसी स्थिति बनती है जब संवत्व में 12 की जगह 13 महीने होते हैं। इस साल सावन दो माह यानि 59 दिन का होगा। सावन चार जुलाई से शुरू हो रहा है और 31 अगस्त तक रहेगा। बताया कि सावन अधिकमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। दो माह के इस सावन में आठ सोमवार होंगे, जबकि अन्य वर्ष में चार या पांच सोमवार होते हैं। सनातन धर्म में व्रत, भक्ति और शुभ कार्य के चार महीने को चातुर्मास कहा जाता है। खास कर ध्यान और साधना के लिए यह चार महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी तक रहता है। चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल दो सावन होने के कारण चातुर्मास पांच महीने का होगा।
पृथ्वीलोक में रहते हैं भोलेनाथ
स्वामी अनिल भंवर ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। उन्होंने बताया कि चातुर्मास में गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह, जनेऊ संस्कार आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। सावन के पूरे महीने भोलेनाथ पृथ्वीलोक में रहकर भक्तों पर कृपा करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन मास सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए दुर्लभ वस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती बल्कि सामान्य वस्तुओं को अर्पित करने से प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि सावन मास में ही समुद्र मंथन में निकले विष को भोलेनाथ ने ग्रहण किया था, विष के ताप कम करने के लिए देवी देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया था, तभी से शिव का सावन में जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई। 10 जुलाई से 28 अगस्त तक पड़ने वाले सोमवार को शिव भक्त कांवड़ लाकर मंदिरों में जलाभिषेक करेंगे।
राशि अनुसार करें पूजा, होगी मनोकामना पूरी
स्वामी अनिल भंवर ने बताया कि भोलेनाथ स्वभाव से बहुत सरल प्रकृति के माने जाते हैं, जो शमशान में वास करते हैं और उनके शरीर पर भस्म लिपटी रहती है। ऐसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अपनी राशि के अनुसार वस्तु अर्पित करें, वह आपको मनोवांछित फल प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि मेष राशि के जातक सावन में हर रोज जल में गुड़ डालकर शिव जी का अभिषेक करें और लाल फूल या आक के फूल अर्पित करके नागेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। वृषभ राशि के भक्त जल दूध मिलाकर चढ़ाएं साथ ही दही, चंदन और सफेद पुष्प अर्पित करके रुद्राष्टक का पाठ करें। मिथुन राशि के जातक सावन में हर रोज गन्ने के रस से अभिषेक करें और तीन बिल्व पत्र चढ़ाए तथा ॐ नम : शिवाय मंत्र का जाप करें। कर्क राशि के जातक शुद्ध घी से भोलेनाथ का अभिषेक करें और ॐ नम : शिवाय मंत्र का जाप करें। सिंह राशि के जातक जल, गुड़ और गेहूं शिव जी को अर्पित करें और शाम को शिव मंदिर में घी का दीपक जलाएं, साथ ही महामृत्युजंय मंत्र का 108 बार जाप करें। कन्या राशि के जातक गन्ने का रस और भांग का पत्ता चढ़ाएं। साथ ही ॐ नम : शिवाय का जाप करें। तुला राशि के जातक हर सोमवार को इत्र या सुगंधित जल से अभिषेक करें। साथ ही सहस्त्रनाम का जाप करें। वृश्चिक राशि के भक्तों के लिए पंचामृत से अभिषेक करना कल्याणकारी रहेगा। शाम को मिश्री से भोग लगाएं। धनु राशि के जातक केसर युक्त दूध से अभिषेक करें और बेलपत्र तथा पीला पुष्प चढ़ाएं। मकर राशि के जातक हर सोमवार को जल में गेहूं डालकर शिव जी का पूजन करें और गेहूं का दान करें। साथ ही शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें। कुम्भ राशि के जातक हर दिन जल में सफेद तिल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और पूजन करें। साथ ही शिव षडाक्षर मंत्र का 11 बार जाप करें। मीन राशि के भक्त हर रोज शिवलिंग पर जल में दूध मिलाकर कर चढ़ाएं और पीपल जरुर चढ़ाएं।