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जुर्म व जुल्म की सच्ची दास्तान : एक बच्चा तलाश रहा है मां-बाप को, मुरादाबाद वालों मदद कीजिये (अपडेट)

True story of crime and oppression: A child is looking for his parents, people of Moradabad help him

15 जून 23, मुरादाबाद। कहानी पूरी फिल्मी जैसी है, लेकिन है बिल्कुल सच्ची। जुर्म, जुल्म और फिर इंसानियत के इस वाक्ये को पढ़कर आपके आंसू भी निकल सकते हैं। मगर अपने मां-बाप से बिछड़े इस बच्चे को आपके आंसुओं से ज्यादा आपकी मदद की दरकार है। आप की छोटी सी कोशिश इस बच्चे को अपने मां-बाप और रिश्तेदारों से मिला सकती है। यह बच्चा आजकल लखनऊ में रहता है और अपने वालिदेन से मिलने के लिए कड़ी जद्दोजहद कर रहा है। इसके मां-बाप से मिलाने के लिए इसके पास बचपन का एक फोटो है और एक महिला, जिसकी यह तलाश कर रहा है।

1994 में भिखारन ले गई थी

दरअसल यह कहानी है सादिक सिद्दीकी की, हालांकि इसका असली नाम नहीं है, यानी इसके मां-बाप ने इसका नाम कुछ और रखा था जो इसे याद नहीं है। सादिक को वर्ष 1994 में भीख मांगने वाली महिला मुरादाबाद से ले गई थी। बताते हैं कि तब सादिक की उम्र करीब ढाई-तीन साल रही होगी। बकौल सादिक-महिला उसे फैजाबाद के थाना अयोध्या के क्षेत्र मिरजापुर माफी ले गई थी और उसकी मंशा क्या थी, वह नहीं जानते। महिला के पास अच्छे कपड़े और खूबसूरत बच्चे को देखकर ग्रामीणों ने हंगामा किया और बच्चे को उससे ले लिया। गांव के महमूद ने उसे अपने संरक्षण में ले लिया था। यह महिला फैजाबाद की रहने वाली है और अब वह उसे ढंूढ रहे हैं, ताकि उसे अपना घर और मं-बाप मिल सकें। वह पिछले तीन दिन से फैजाबाद में हैं, लेकिन यह महिला सुल्तानपुर चली गई है। उन्होंने मुरादाबाद पुलिस को आनलाइन और एसएसपी के ट्वीटर पर शिकायत की है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है। भीख मांगने वाली महिला ने इतना बताया था कि उसे जहां से चुराया है वहां गोश्त की दुकानें बहुत थीं। मुरादाबाद के लोगों का कहना है कि वर्ष 1994 में कच्चा बाग, पत्थर चौराहे से बड़ी मस्जिद जाने वाले मार्ग और सीधी सराय में गोश्त की दुकानें हुआ करतीं थी।

भिकारन के साथ खींचा गया सादिक का फोटो।

मां-बाप को याद करके टपके आंसू

सादिक ने फोन पर न्यूज रनवे से अपने बचपन की दर्द भरी दास्तां बयां की तो उनकी आवाज भर्रा गई, यकीनन उनकी आंखे भी नम हुई होंगी। वह बताते हैं कि महमूद ने उसे भिखारिन महिला से ले लिया। पुलिस से शिकायत और अखबार में खबर छपनेके बाद भी कोई नहीं आया। इस दौरान उसकी तबियत खराब रहने लगी तब गांव के चिकित्सक सलाहउद्दीन सिद्दीकी फरिश्ता बनकर आए। उन्होंने इलाज भी किया और भरपेट खाना भी खिलाया। उन्होंने अपनी बहन रहनुमा खातून को मेरी स्थिति बताते हुए उसे पालने की ख्वाहिश जारी की। रहनुमा खातून दिल्ली में रहती थी और मुझे लेने के लिए गांव आ गईं। इस मामले में अब भाजपा के वरिष्ठ नेता बब्लू खान भी सादिक को मां-बाप से मिलाने में सहयोग कर रहे हैं। उनके सहयोग से महिला को बुलाया गया और जल्दी ही वह मुरादाबाद आएंगे। उन्होंने न्यूज रनवे के प्रयासों की सराहना की और कहा कि वह भी पूरी तरह इस मामले में लगे हैं और हरसंभव सहयोग करेंगे।

अखबार में छपी कटिंग

फरिश्ता बने डॉ सलाहुद्दीन व रहनुमा

बकौल सादिक-रहनुमा खातून मुझे लेकर आजमगढ़ आ गईं। उन्होंने मुझे मां का प्यार दिया, दुलार दिया और अपने बच्चे की तरह परवरिश की। वह मुझे घर से निकलने नहीं देती थीं, क्योंकि उन्हें डर लगा रहता है। बचपन की भूख और जुल्म की दास्तां मेरे जहन पर छप गई है, इसलिए मैने मां रहनुमा खातून से सब मालूम कर लिया। वर्ष 2009 में मैने उस महिला से हाथ-पैर जोड़े और कहा कि मुझे एक बार मुरादाबाद ले जाकर मेरे घर वालों से मिला लाओ। वह तैयार हो गई थी तो मैने ट्रेन में रिजर्वेशन भी करा दिया था, लेकिन वह नहीं आई। तब मैं अकेला ही मुरादाबाद आया और कई जगह पूछताछ की, मगर कुछ पता नहीं लगा। पिछले कई दिनों से वह सोशल मीडिया पर लोगों से सहयोग मांग रहे हैं। सादिक कहते हैं कि उन्हें अपने मां-बाप से मिलने की दिली तमन्ना है। दिल में हूक सी उठती है कि मैं अपने परिवार से मिलूं। तीन दिन से फैजाबाद में हूं और महिला का इंतजार कर रहा हूं। बस मुरादाबाद वाले मेरा सहयोग करेंगे तो मैं अपने मां-बाप से मिल सकूंगा। आपसे गुजारिश है कि कुछ जानकारी मिले तो सादिक के मोबाइल नंबर 7652077617 पर अथवा न्यूज रनवे संपादक के नंबर पर फोन कर सकते हैं। इस युवक को मां-बाप तक पहुंचाने के लिए इस खबर के लिंक को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और परिचितों में शेयर करके भी आप सादिक की मदद कर सकते हैं।

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