18 मई 23, मुरादाबाद। एक शेर जहन में आ रहा है इतना बदहवास हुए आंधियों से हम, जो सूखे दरख्त थे उन्हीं से लिपट गए। नगर निकाय चुनाव में ऐसी ही हालत मुस्लिम मतादाता की दिखाई दी। हालांकि अभी एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में एकतरफा मतदान किया था, लेकिन निकाय चुनाव में मुस्लिम मतदाता पूरी तरह कंफ्यूज दिखे और बिखरे हुए भी। हालत यह रही कि भाजपा समेत सभी दलों को वोट देकर खुश कर दिया। बात यहीं तक नहीं है, खास बात यह है कि मुसलमानों में नेता बनने का शौक बहुत तेजी से चढ़ रहा है जो कौम के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है। हर किसी में नेता बनने की ख्वाहिश् के चलते बीते नगर निकाय चुनाव में मुसलमान प्रत्याशियों की तादाद अधिक होने से मतदाता कशमकश में रहा और वोट बिखराव के कारण महापौर समेत कई अहम सीटें हार गए।
पार्षद की कई सीटें हैं उदाहरण
भाजपा के विनोद अग्रवाल ने 35 सौ से अधिक वोटों से जीत हासिल की है। यहां मुस्लिम वोटों का बंटवारा देखने को मिला जिसका फायदा भाजपा प्रत्याशी को मिला और विजेता बने। इसी तरह कुछ वार्डों का परिणाम बता रहे हैं जो सोचने पर मजबूर करता है। देखिये वार्ड 15 मऊ में भाजपा की राखी ने 916 वोट हासिल करके जीत हासिल की, यहां हारने वालों में शाहरुन मलिक को 707 वोट, शन्नो को 688 वोट, हसीना को 593 वोट, मेहरुन निशा को 518 वोट, नूर अफ्शां को 419 वोट, फरमीना को 209 वोट, संतोष कुमारी को 82 वोट, किश्वरी को 21, राबिया को 8 और नूरबानो को 7 वोट हासिल हुए। वार्ड 24 पंडित नगला में भाजपा की कमलेश सिंह 2164 वोट पाकर विजयी हुईं। यहां से तबस्सुम पत्नी लईक पाशा को 1722, तबस्सुम पत्नी शाकिर को 1607, फुरकाना बेगम को 748, विंशी को 197, उजमा को 73, पुष्पा को 26 वोट हासिल हुए हैं। वार्ड 67 तंबाकूवालान से मोहित गौड़ 930 वोट लेकर कामयाब हुए हैं और यहां से मो. असलम 859, इमरान हुसैन 740, शावेज अली 630, समीर 445, खुर्शीद आलम 254, शमीम 206, आमिर रहमान 59 वोट हासिल करके हार गए हैं। यह टेबिल देखने से साफ है कि सौ वोट नहीं लाने वाले भी आखिर तक मैदान में डटे रहे। कई लोग इलेक्शन जीतने के लिए लड़ रहे थे तो कई लोग किसी को हराने के लिए खड़े हुए थे।
सज्जादगान ने की थी अपील
वैसे तो पिछले चुनाव में मतदाताओं का रुख देखने से साफ होता है कि अब कौम को लीडर की जरूरत नहीं है, क्योंकि लीडर एकता की बातें तो जरूर करता है मगर सिर्फ अपने दल की बात करता है। इस चुनाव में कौम के नेता भी निष्क्रिय दिखाई दिए। उलेमा भी सही राह दिखाने सामने नहीं आए। शहर की दरगाहों के सज्जागान की कमेटी ने अपील जरूर जारी की थी जिसमें जीतने वाले प्रत्याशी के हक में मतदान करने का आह्वान किया गया था। हैरानी यह रही कि मुस्लिम वार्डों से चुनाव लड़ रहे भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशियों को भी मतदाताओं ने निराश नहीं किया। भाजपा महापौर प्रत्याशी के लिए भी मुस्लिम इलाकों के बूथों से वोट निकले हैं। बहरहाल, मतदाताओं का बिखराव और नेतागिरी का बढ़ता शौक अब गली-गली चर्चा का विषय का बना हुआ है। लोकसभा चुनाव सिर पर है और उलेमा और कौम के रहबर खामोश हैं। मुफ्ती कासिम रजा अशरफी से न्यूज रनवे ने बात की तो उन्होंने कहा कि मुसतकबिल में ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके लिए सभी उलेमा एक प्लेटफार्म पर आएंगे और कौम की रहबरी करेंगे। जरूर हुई तो इसके लिए कमेटी भी अमल में लाई जा सकती है।