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सपा की करारी हार : जिनपर थी जिताने की जिम्मेदारी उन्होंने ही निकाली साइकिल के पहियों की हवा

Strong defeat of SP: Those who had the responsibility to win, they only took out the air from the wheels of the bicycle.

17 मई 23, मुरादाबाद। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने तिनका-तिनका जोड़कर जिस पार्टी को खड़ा किया था अब उस की हालत दिनों-दिन पतली हो रही है। हाईकमान की कुछ खामियां तो कुछ स्थानीय नेताओं की घोर लापरवाही, चरम पर गुटबाजी और टिकट बंटवारे में खुला पक्षपात जैसे फैसले लेने वाले नेता ही साइकिल में पंक्चर करते दिख रहे हैं। यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 में सपा का गढ़ माने जाने वाले मुरादाबाद शहर में शर्मनाक हार से कार्यकर्ताओं में बैचेनी देखी जा रही है। जाहिर है पार्टी के दिग्गजों को हाईकमान को जवाब देना होगा, मगर असली सवाल है कि हाईकमान क्या करता है। इसी पर अवाम की नजरें टिकी हुई हैं।

अखिलेश की सिफारिशी बुरी तरह हारी

निकाय चुनाव के नजीजे आने के बाद सियासी तौर पर विश्लेषण किए जा रहे हैं। मुसलमानों की पार्टी माने जाने वाली सपा के वार्ड प्रत्याशियों को मिले वोटों को देखकर साफ होता है कि टिकट बंटवारे में बड़ी चूक हुई है। अपने चहेतों को टिकट देने के चक्कर में जातिगत समीकरण का ध्यान भी नहीं रखा गया। इस चुनाव में सबसे चर्चित वार्ड 15मऊ रहा। यहां टिकट कटने पर सपा छात्र नेता फरीद मलिक ने पूर्व विधायक यूसुफ अंसारी पर टिकट बेचने जैसे संगीन आरोप भी लगाए थे। यूसुफ अंसारी ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि यह टिकट राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सिफारिश पर दिया गया था। इस वार्ड से प्रत्याशी नूर अफ्शां सैफी को 419 वोट हासिल हुए और वह छठे स्थान पर रहीं। इसी तरह टिकट बंटवारे में दो मौजूदा पार्षदों अब्दुल करीम फारुखी वार्ड 35 और इदरीस मंसूरी वार्ड 70 के टिकट काट दिए गए। इनके टिकट काटने के पीछे सबसे बड़ी वजह रही इनका हाजी इकराम कुरैशी का समर्थक होना। हालांकि इन्होंने पार्टी से वफादारी करते हाजी इकराम के साथ नहीं गए थे। इन वार्डों में वार्ड 70 से हसीन जमाल को सिर्फ 225 और शाहिद गामा को 245 वोट हासिल हो सके। यह को पहले ही लिखा जा चुका है कि सांसद डॉ. एसटी हसन, विधायक नासिर कुरैशी और पूर्व विधायक यूसुफ अंसारी समेत सभी दिग्गजों के वार्ड हार गए हैं।

सौ वोट हासिल करने में छूटे पसीने

सपा के वार्ड प्रत्याशियों की स्थिति का आंकलन करें तो बेहद शर्मनाक स्थिति सामने आती है। वार्ड 68 से इकबाल सैफी को केवल 90 वोट हासिल हुए हैं। इसी तरह वार्ड 42 से पत्रकार से नेता बने अरहम अली को 172वार्ड 65 से शा नियाज राजा को 157 वोट, वार्ड 11 मेनाठेर से सौरभ रत्नाकर को 152 वोट, वार्ड 45 से शमशेर अली को 98 वोट, हिमगिरी वार्ड 8 से मनोज यादव को 140 वोट, वार्ड 26 से मुमताज बेगम को 66 वोट हासिल हो सके हैं। गनीमत यह रहा कि ताजे-ताजे महानगर अध्यक्ष मनोनीत हुए इकबाल अंसारी ने जीत हासिल कर ली। पूर्व विधायक हाजी यूसुफ अंसारी के घरेलू वार्ड 61 में पार्टी प्रत्याशी अनवर अली को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। यहां से यूसुफ अंसारी के दामाद के भाई भी चुनाव लड़ रहे थे, उन्हें भी हार का मुंह का देखना पड़ा है। सपा का गढ़ करूला क्षेत्र भी इस मर्तबा दरकता दिखाई दिया और अधिकांश सपा प्रत्याशी मुकाबले से बाहर दिखे और तीसरे नंबर पर आ सके। गलत फैसलों का असर यह रहा कि सलीम वारसी, असद कमाल, राशिद बाबी जैसे दिग्गजों को भी हार का स्वाद चखना पड़ा है। सपा ने अब्बासी समाज को एक भी टिकट नहीं दिया। कांग्रेस ने तीन टिकट दिए थे और तीनों चुनाव जीत गए हैं। लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल और लोकसभा का रिहर्सल कहे जा रेह निकाय चुनाव में सपा की दुर्दशा पार्टी के दिग्गजों और हाईकमान के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। सपा हाईकमान ते इस र्श्मनाक स्थिति के उबरने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर अवाम की नजरें लगी हुई हैं।

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