(सम्भल से सना की रिपोर्ट)
19 सितंबर 24, सम्भल। वर्षों पुराना इतिहास समेटे ऐतिहासिक नगरी में आल्हा-ऊदल की कला से मशहूर चक्की पाट आखिरकार सरकारी तंत्र की लापरवाही का शिकार हो गया। बीती रात आयी बारिश में चक्की के पाट के साथ जर्जर हो चुकी इमारत का कुछ हिस्सा भी भरभराकर गिर गया। आल्हा ऊदल के किस्से आज भी मशहूर हैं और इसी में शामिल है चक्की के पाट का किस्सा। सरकारी तंत्र की लापरवाही से ऐतिहासिक नगरी के लोग खफा द्रिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि आजादी के वर्षों बाद भी इस इमारत और चक्की के पाट संबंधी दस्तावेज की तलाश भी सरकारी तंत्र नहीं कर चुका है, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार भी हुआ है ये ऐतिहासिक स्थल।
पुरतत्व विभाग की निगरानी
मोबाइल में उलझी लई नस्ल भी आल्हा-ऊदल से से थोड़ी परिचित है। दरअसल, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मशहूर चक्की का पाट कई फीट की ऊंचाई पर टंगा था। बताया जाता है कि आल्हा-ऊदल ने करतब दिखाते हुए पाट को टांग दिया था। शहर में आने वाले लोग पाट देखने जरूर जाते थे। चक्की का पाट बुधवार रात मूसलाधार बारिश के दौरान जमींदोज हो गया। खबर तेजी से फैली और लोग मौके पर एकत्र हो गए थे। सूचना मिलने पर आाई पुलिस ने चक्की का पाट को कब्जे में ले लिया है। पुलिस ने सड़क पर गिरा दीवार का मलबा हटाने की कवायद शुरू की। गुरुवार सुबह नगर पालिका की टीम ने भी मौका मुआयना किया है। खबर मिली है कि चक्की का पाट पुरातत्व विभाग की निगरानी में था और तीन महीने पहले मेरठ की टीम ने सर्वे किया था।
जानिये चक्की का इतिहास
स्थानीय लोगों ने बताया कि दीवार जर्जर हो गई थी तथा उसमें पेड़ निकलने से शाखाएं फैल रहीं थीं। दीवार से ईंट भी गिर जाती थीं। गौरतलब है कि चक्की के पाट का जिक्र सम्भल महात्म्य पुस्तक में किया गया है। किताब में हजार वर्ष पुराना होना बताया गया है। पाट का किस्सा पृथ्वीराज चौहान और कन्नौज नरेश जयचंद के जुड़ा है। जयचंद की सेना के योद्धा आल्हा, ऊदल और मलखान सिंह नट की वेषभूषा में संयोगिता का पता लगाने आए थे। किले की खिड़की से झांकने के लिए आल्हा ने नट कला का प्रदर्शन करते हुए छलांग लगाकर कील ठोंकी और फिर वहां चक्की का पाट टांग दिया थाा। इसकी ऊंचाई 60 फीट होने का जिक्र किया गया है। महानगर के लोग, सियासी व समाजी लोग इस जगह की मरम्मत और सौंदर्यीकरण कराने की मांग करते रहे हैं।