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जागरूकता सत्र : ओरल कैंसर अब लाइलाज नहीं, तंबाकू का सेवन करने वाले करें यह उपाय

Awareness session: Oral cancer is no longer incurable, tobacco users should take these measures

07 फरवरी 24, मुरादाबाद: मैक्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के जागरूकता सत्र में कैंसर के बचाव और उपचार की जानकारी दी गई। बताया गया कि ओरल कैंसर अब लाइलाज नहीं है, बल्कि समय रहते पता चलने पर अच्छा और सस्ता उपचार संभव है। गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स हास्पीटल के सीनियर डायरेक्टर व सर्जिकल आन्कोलॉजी के हेड डा. पवन गुप्ता ने मुरादाबाद के मरीज यूनुस अंसारी के केस की जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा डायग्नोज हुआ था। उन्होंने बताया कि मैक्स में सफल इलाज किया गया है।

मुरादाबाद के पीड़ित का मैक्स में इलाज

डा. पवन गुप्ता ने हेड व नेक कैंसर के शुरूआती लक्षणों से अवगत कराते हुए पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2023 में यूनुस अंसारी (38) को मुंह में बाईं तरफ जख्म का एहसास हुआ था। यूनुस तंबाकू का सेवन करते थे और दो साल पहले उन्होंने तंबाकू खाना छोड़ दिया था। लोकल अस्पताल में दिखाया तो वर्सस घाव का पता चला। बाद में ट्रिसकेयर के बावजूद मरीज का मुंह कम खुलने लगा और जहां बायोप्सी की गई थी वो हिस्सा मोटा हो गया। मरीज ने सेकंड ओपिनियन लेने के लिए दिसंबर में मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में परामर्श किया। जांच की गई तो बकल मुकोसा के बाईं तरफ लोअर बीजी सल्कस पर 2 मिमी का छोटा अल्सर पाया गया। अल्सर के चारों ओर कठोरता आ गई थी जिसपर एमआरआई और बायोप्सी की गई। जांच के बाद स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा डायग्नोज हुआ। इलाज का डिटेल प्लान तैयार किया गया जिसमें निचले और ऊपरी जबड़े का कुछ हिस्सा हटाना था और नेक नोड्स का कुछ हिस्सा हटाना था। प्रक्रिया के बाद फ्री माइक्रो वैस्कुलर फ्लैप के जरिए रिकंस्ट्रक्शन किया गया और जो हिस्सा कटा था उसमें बहुत ही सावधानी से टांके लगाए गए। मैक्स हॉस्पिटल के एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ने मरीज की रिकवरी करने में काफी मदद की। इसके बाद मरीज की बोलने और चबाने की फिजियोथेरेपी की गई व ट्रिसकेयर की मदद से मुंह खोलने की एक्सरसाइज कराई गई।

स्पेशल ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन जरूरी

डा. पवन गुप्ता यूसुफ के मुताबिक अंसारी ने शानदार रिकवरी की और सर्जरी के बाद पांच दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। उनका फुल रिहैबिलिटेशन चला व ट्यूमर की अर्ली स्टेज को देखते हुए रेडियोथेरेपी को जरूरी नहीं माना गया। उन्होंने ओरल कैंसर से बचाव के लिए जरूरी बातों पर जोर देते हुए कहा कि तंबाकू का सेवन करने वालों में रोग का जल्दी पता लगाने के लिए सतर्कता जरूरी है, ताकि इलाज से रिजल्ट बेहतर आ सकें। जब ट्यूमर जबड़े के करीब होता है तब पूरे जबड़े को निकालने के बजाय छोटा-सा हिस्सा निकाल दिया जाता है। गर्दन की स्थिति का सही आकलन करते हुए सेंटिनल नोड बायोप्सी ट्रीटमेंट प्लान करने में मदद करती है। ओरल कैंसर के मरीज की रिकवरी में रिहैबिलिटेशन टीम काफी अहम रोल होता है। अच्छे रिजल्ट पाने के लिए विशेषज्ञों के मूल्यांकन और इलाज की जरूरत रहती है। लोगों को रोग के शुरूआती स्टेज में पता लगने, स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट और ओरल कैंसर के मामले में रिहैबिलिटेशन के अहम रोल के बारे में बताया गया।

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