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मुशायरा व कवि सम्मेलन : सियासी नफरत से बुझे दिल खिल उठे मुहब्बत की बौछार से

Mushaira and Kavi Sammelan: Hearts extinguished by political hatred bloom with the shower of love.

30 जनवरी 24, मुरादाबाद। समाज में लगातार बढ़ती सियासी नफरत पर सोमवार की शाम मुहब्बत की खूब बौछार हुई। मौका था कलेक्ट्रेट ग्राउंड में प्रसिद्ध अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरे का। कवियों और शायरों ने धर्मिक कट्टरता की तरफ बढ़ते समाज को मुहब्बत को पैगाम देकर नई दिशा दिखाई। उन्होेंने महबूब से गुफ्तगू का सलीका बताते हुए लब-ओ-रुखसार, प्यार-मुहब्बत की खूबियां बताईं तो प्रदूषित होती सियासत पर तंज कसे। शायरों ने अपने कलाम से सदभावना, भाईचारा, सौहार्द और एकता का सबक भी सिखाया।

मुशाायरा व कवि सम्मेलन का आनंद लेते एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त।

यहां खतरा दो तरफा है…

जिला प्रशासन के सहयोग से उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेकट्रेट कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में देश के नामचीन कवि और शायरों ने अपने कलाम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाम करीब छह बजे शुरू हुए मुशायरे में मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह, एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त मुख्य अतिथि रहे तथा अध्यक्षता जिलाधिकारी मानवेंद्र कुमार सिंह ने की। मां सरस्वती पर मार्ल्यापण करके नात-ए-पाक से शुरू हुए मुशायरे में गाजियाबाद से आए राज कौशिक ने सियासत पर यूं तंज किया-सियासी बस्तियां हैं ये यहां खतरा है दो तरफा, नजर सांपों पर रखनी है सपेरों से भी बचना है। उन्होंने देश की तस्वीर खींचते हुए कहा-कहीं मोहन कहीं अब्दुल कहीं करतार है भारत, हरेक हिंदू हरेक मुस्लिम हरेक सरदार है भारत। शायर फरीद शम्सी ने सियासत से यूं आगाह किया-इसका अंदाज यही कहता है, वो नया गुल है खिलाने वाला। उन्होंने यह भी सुनाया-शोहरत मिली तो नींद भी अपनी नहीं रही, गुमनाम जिंदगी थी तो कितना सुकून था। हास्य कवि शैलेश आस्थाना ने एक्टर के राजनीति में आने की कविता सुनाकर राजनीति के ड्रमे पर व्यंग्य किया। कवियत्री डॉ. भावना तिवारी ने नारी पीड़ा और नारी शक्ति के वर्णन गीत के माध्यम से यूं किया-जो बाग लगाया था मैने, अब उसपर अधिकार नहीं मेरा।

मुरादाबाद कलेक्ट्रेट ग्राउंड में कलाम पेशा करते राज कौशिक।

साथ हों दोनों तो …

शायरा शाबीना अदीब ने अपने कलाम से मुहब्बत का पैगाम देते हुए कहा-साथ हों दोनों तो रिश्तों का मजा कुछ और है, तुम कहीं हो मैं कहीं हूं तुम समझते क्यों नहीं। शरीफ भारती ने शायरों के प्यार के पैगाम देने के अंदाज बताकर श्रोताओं को गुदगुदाया। राजबहादुर राज ने कामयाबी की दौड़ में दरकते रिश्तों की बात यूं बताई-बूढी मां पीछे रही छूटी पीपल छांव, जो पाया सब मिल गया अब क्यों ढूंढे गांव। महशर आफरीदी ने सुनाया-जमीं पर घर बनाया है मगर जन्नत में रहते हैं, हमारी खुशनसीबी है कि हम भारत में रहते हैं। मुशायरे में दिनेश रघुवंशी, मंसूर उस्मानी, डॉ. शैलेश गौतम, कृष्ण कुमार नाज, राहुल शर्मा, प्रवीण राही, मयंक शर्मा आदि ने काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन व मुशायरे नोडल अधिकारी अपर जिलाधिकारी प्रशासन गुलाब चंद्र रहे। सयसंयोजक एसीएम मनी अरोड़ा, एसीएम प्रीति सिंह, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुभाष चंद्र व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सतपाल सिंह रहे। संयोजन टीम में गोपी कृष्ण, अरविंद कुमार सिंह, नावेद सिद्दीकी, अभिषेक सिंह रहे। प्रचार व्यवस्थापक पत्रकार परवेज नाजिम व बाबा संजीव आकांक्षी रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रवीण शुक्ल ने किया।

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