28 फरवरी 23, मुरादाबाद। होलिका दहन और रंगों की खुशी की तरह रंग एकादशी का भी बहुत महत्व है। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन रंगभरी एकादशी का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। मानव कल्याण मिशन के संस्थापक स्वामी अनिल भंवर का कहना है कि रंगभरी एकादशी का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक जीवन में बड़ा महत्व रखता है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार काशी लाए थे। उनके स्वागत में रंग, गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई गई थी, तभी से इस दिन भगवान शिव गौरा अपने गणों के साथ गुलाल की होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ को दूल्हे की तरह सजाया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि दो दिन होने के कारण लोगों में रंगभरी एकादशी को लेकर असमंजस की स्थिति है।
ऐसे करते हैं रंगभरी एकादशी की पूजा
मानव कल्याण मिशन के स्वामी अनिल भंवर ने बताया कि फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं, इसे आमलकी एकादशी और आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन परिवार का शोक भी उठाया जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन रंगभरी एकादशी का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। काशी में इस पर्व को शिव भक्त बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाते हैं। रंगभरी एकादशी पर बाबा भोलेनाथ अपने गणों के साथ अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। उन्होंने बताया कि इस साल रंगभरी एकादशी तीन मार्च को मनाई जाएगी। रंगभरी एकादशी के दिन से ही में रंगों उत्सव का आगाज होता है। साल में आने वाली सभी एकादशियों में यह एकमात्र ऐसी एकादशी है, जिसमें विष्णु भगवान के अलावा शिव-पार्वती की पूजा का विधान है।
मां पार्वती को अर्पित करें सोलह श्रृंगार की सामग्री
अनिल भंवर के मुताबिक रंगभरी एकादशी के दिन शिवलिंग पर लाल रंग का गुलाल और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। रात्रि में जागरण करने से व्रत का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में रात में विष्णु जी के समक्ष नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक बड़ा दीपक अलग से प्रज्जवलित करें जो रातभर जलता रहे। भगवान शिव और विष्णु के मंत्रों का जाप करें। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि इससे जीवन में धन संपत्ति की समस्या का समाधान होता है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। उन्होंने बताया कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की रंगभरी एकादशी दो मार्च को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है और समापन तीन मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगा। उन्होंने बताया कि पूजा का मुहूर्त तीन मार्च को सुबह 08:17 से सुबह 09:44 बजे तक रहेगा। रंगभरी एकादशी व्रत पारण चार मार्च को सुबह 06.48 से सुबह 09.09 बजे तक किया जाएगा।